यह मंच सोसायटी फॉर साइंस के लिए बनाया गया है। (यहाँ SCIENCE एक परिवर्णी शब्द है जो Socially Conscious Intellectuals' ENlightenment & CEphalisation से लिया गया है।) सोसायटी का उद्देश्य मार्क्सवाद के दार्शनिक आयाम और उसकी व्यावहारिक प्रासंगिकता पर रोशनी डालने वाले लेखों के ज़रिए जागरूक बुद्धिजीवियों को सैद्धांतिक चिंतन तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के अवसर प्रदान करना है।
Thursday, 7 October 2021
Latest Developments in Particle Physics and the Theory of Dialectical Materialism
मार्क्सवाद वैज्ञानिक वैश्विक दृष्टिकोण है, माननेवाले प्रिय सुधीजन,
मार्क्स कहते हैं कि समय के साथ प्रकृति विज्ञान, मानव विज्ञान को अपने अंदर समाहित कर लेगा, ठीक उसी तरह जिस तरह मानव विज्ञान, प्रकृति विज्ञान को अपने अंदर समाहित कर लेगा : और फिर केवल एक विज्ञान होगा।
एंगेल्स समझाते हैं कि प्रतीत होनेवाली अनिश्चितता तथा अस्थाई अवनति के बावजूद एक प्रगतिशील विकास ही अंतत: प्रभावी होता है। यह आधारभूत विचार, विशेषकर हेगेल के समय के बाद से, आमचेतना में इतनी अच्छी तरह घर कर चुका है कि सर्वव्यापी नियम के रूप में उसका विरोध यदा कदा ही होता हो। पर इस मूलभूत विचार की शब्दों में स्वीकृति एक बात है, और यथार्थ के धरातल पर, हर किसी आयाम की पड़ताल में उसको व्यापक रूप में लागू करना बिल्कुल ही अलग बात है।
लेनिन ने समझाया था कि संशोधनवाद तथा अतिसक्रियता का चोली दामन का साथ है और क्रांतिकारी सिद्धांत के बिना कोई भी क्रांतिकारी आंदोलन नहीं चलाया जा सकता है।
हम में से कौन निम्न बुर्जुआ मानसिकता के साथ प्रगतिशील विचारों को अभिव्यक्त करता है और कौन सही मायने में मार्क्सवादी चेतना के साथ अभिव्यक्त करता है, इसका निर्णय तो व्यक्ति को आत्मालोचना के द्वारा स्वयं तय करना होता है, कोई दूसरा इसका निर्णय नहीं कर सकता है।
पर मार्क्स के प्रसिद्ध कथन: “समाज व्यक्तियों से नहीं बना होता है बल्कि खुद को अंतर संबंधों के योग के रूप में दर्शाता है, वो सम्बन्ध जिनके बीच में व्यक्ति खड़ा होता है”, के गूढ़ार्थ को समझे बिना तथा उस समझ को व्यक्तिगत जीवन में उपयोग कर सकने की क्षमता तथा कुशलता को हासिल किये बिना, न तो कोई मार्क्सवादी बन सकता है और न ही कोई क्रांतिकारी आंदोलन चला सकता है।
फ़ायरबाख पर अपनी पहली अवधारणा में मार्क्स व्यावहारिक-आलोचना कर्म को क्रांतिकारी गतिविधि के रूप में देखते हैं और तीसरी अवधारणा में कहते हैं कि परिस्थितयाँ मनुष्य द्वारा बदली जाती हैं और स्वयं शिक्षा देनेवाले को शिक्षित किया जाना अिनवार्य है।
राजनीतिक अर्थशास्त्र के महान शिक्षकों की शिक्षा का अनुकरण करते हुए सोसायटी फॉर साइंस ने सैद्धांतिक विमर्श के लिए कार्यशाला का नया प्रारूप तय किया है जिसमें किसी एक आयाम पर एक सुविज्ञ मार्क्सवादी अपना आधार वक्तव्य रखेगा और श्रोताओं में मौजूद सुविज्ञ मार्क्सवादी वक्तव्य के आलोचनात्मक विश्लेषण के लिए शंकाएं प्रस्तुत करेंगे। इसके लिए श्रोताओं के बीच सुविज्ञ मार्क्सवादियों की मौजूदगी उतनी ही जरूरी है जितनी वक़्ता के लिए सुविज्ञ मार्क्सवादी होना।
आपसे अनुरोध है कि 9 अक्टूबर 2021 की आगामी कार्यशाला में श्रोता के रूप में मौजूद रहकर युवा पीढ़ी के मार्गदर्शन के लिए विमर्श को सार्थक बनायें।
आप से अनुरोध है कि भविष्य में आयोजित की जानेवाली कार्यशालाओं में विमर्श के लिए विषय का सुझाव दें और वक़्ता के रूप में वक्तव्य देने के लिए स्वीकृति प्रदान करें। अपने विवेकानुसार अन्य को भी सोसायटी फॉर साइंस के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करें।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथ
सुरेश श्रीवास्तव
7 अक्टूबर 2021
पुनश्च : 9 अक्टूबर 2021 की आगामी कार्यशाला का विषय है ‘Latest Developments in Particle Physics and the Theory of Dialectical Materialism’ तथा वक़्ता हैं अभिषेक श्रीवास्तव।
संपर्क - अनूप नोबर्ट - 9968475243, अजय कबीर - 9818820157.
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