Sunday 9 January 2022

फ़िरोज़पुर रैली का बहिष्कार और पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा : एक मार्क्सवादी नज़रिया

फ़िरोज़पुर रैली का बहिष्कार और पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा : एक मार्क्सवादी नज़रिया 5 जनवरी 2022 को श्री नरेंद्र मोदी जो भारत के प्रधान मंत्री भी हैं को भाजपा द्वारा फ़िरोज़पुर में आयोजित एक जन सभा को संबोधित करना था जिसमें उन्हें पंजाब के लिए 42,750 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के शिलान्यास रखने थे। पंजाब विधानसभा के आगामी चुनावों को देखते हुए भाजपा के लिए यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण था। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मोदी जी को दिल्ली से हवाई जहाज़ से बठिंडा बेस एयरपोर्ट जाना था और वहाँ से हेलीकॉप्टर से यात्रा करनी थी। कार्यक्रम में फ़िरोज़पुर रैली से पहले हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर प्रधानमंत्री को श्रद्धांजली अर्पण करनी थी। प्रधान मंत्री का हवाई जहाज़ बठिंडा के भिसियाना हवाई अड्डे पर 11:05 पर उतर गया पर, तेज़ बारिश तथा ख़राब मौसम के कारण आगे हेलिकॉप्टर से यात्रा करना संभव नहीं था। भिसियाना हवाईअड्डे से हुसैनीवाला का सड़क मार्ग काफी लंबा था, 120 किमी, लगभग दो घंटे। पंजाब में हर तहसील, ब्लाक तथा जिले में किसान धरना और प्रदर्शन कर रहे थे और उन्होंने प्रधानमंत्री को काले झंडे दिखाने और उनके पुतले फूँकने के कार्यक्रम घोषित कर रखे थे। प्रधानमंत्री का शहीद स्मारक पर श्रद्धांजली का कार्यक्रम इतना महत्वपूर्ण भी नहीं था कि, ख़राब मौसम तथा किसान आंदोलन के चलते प्रधानमंत्री की सुरक्षा को ख़तरे में डाल कर भी, उन्हें सड़क मार्ग से हुसैनीवाला ले जाया जाय। पर श्री नरेंद्र मोदी का भाजपा की जन सभा में पहुँचना, भाजपा के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण था। दोनों विकल्पों पर ग़ौर करते हुए प्रधानमंत्री के क़ाफ़िले को सड़क मार्ग से शहीद स्मारक और फिर जन सभा में ले जाने का निर्णय किया गया। पंजाब सरकार तथा प्रशासन को सूचित करने के बाद, आधे घंटे में प्रधानमंत्री का क़ाफ़िला सड़क मार्ग से शहीद स्मारक के लिए रवाना हो गया। सवा बारह बजे मुख्यमंत्री श्री चन्नी ने सूचित किया कि उनके कार्यालय में दो लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के कारण वे शारीरिक रूप से प्रधानमंत्री के साथ नहीं रह सकेंगे। डेढ़ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि ‘मैं आज पंजाब की अपनी बहनों और भाइयों के बीच रहने के लिए उत्सुक हूं। फिरोजपुर में एक कार्यक्रम में 42,750 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के शिलान्यास रखे जाएंगे, जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा’। शहीद स्मारक पर श्रद्धांजली अर्पित करने के बाद, पौने दो बजे श्री नरेंद्र मोदी का काफिला सभा स्थल के लिए रवाना हुआ। फ़िरोज़पुर के इलाक़े में सभा स्थल से कुछ दूर पहले फ्लाईओवर पर क़ाफ़िला रोक लिया गया। पिछले कई दिनों से किसान संगठन गुरुद्वारों से घोषणा कर तथा व्यक्तिगत रूप से लोगों से मिल कर सभा का बहिष्कार करने का आग्रह कर रहे थे। वे जगह जगह धरने दे कर भाजपा द्वारा लाई जा रही बसों को रोक रहे थे। इस सबके चलते बुधवार की सुबह रैली के लिए उत्साह की कमी साफ़ नजर आ रही थी। स्वयं बीजेपी के किसान मोर्चा के एक नेता का कहना था, “पार्टी नेताओं को [भीड़ जुटाने के लिए] लेबर चौकों से भी कुछ ख़ास मदद नहीं मिल सकी”। इस बीच बारिश ने भी सभा स्थल पर परेशानी बढ़ा दी थी। सवा बारह बजे के बाद से ही मीडिया में तस्वीरों के साथ ख़बरें चलना शुरू हो गईं थीं कि सभा स्थल पर भीड़ नहीं जुट सकी है और कुर्सियाँ ख़ाली पड़ी हैं। सवा दो बजे सूचित किया गया कि पीएम नरेंद्र मोदी की फिरोजपुर में होने वाली रैली बरसात के कारण रद्द कर दी गई है और वे बठिंडा के भिसियाना एयरबेस से दिल्ली लौटेंगे। इसके बाद, सुरक्षा में कोताही के कारण श्री नरेंद्र मोदी के सभा स्थल तक न पहुंच पाने को तथा सुरक्षा में कोताही की ज़िम्मेदारी को लेकर, कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप और प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। जाहिर है निम्न मध्यवर्गीय बुद्धिजीवी भी, अपनी अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप इस या उस पाले में खड़े हो गये हैं। सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग बुद्धिजीवियों का दायित्व है कि परिस्थिति का निरपेक्ष होकर सही-सही विश्लेषण करें और, सामाजिक बदलाव में नई पीढ़ी सार्थक भूमिका निभा सके इसके लिए नई पीढ़ी का मार्ग दर्शन करें। महान दार्शनिक हेगेल ने कहा था कि एक राजा, राजा इसलिए होता है क्योंकि लोग ऐसा सोचते हैं और राजा यह जानता है। और मार्क्स ने समझाया था, “समाज व्यक्तियों से नहीं बना होता है बल्कि खुद को अंतर संबंधों के योग के रूप में दर्शाता है, वो सम्बन्ध जिनके बीच में व्यक्ति खड़ा होता है”। जिन लोगों ने देवानंद की गाइड पिक्चर देखी है और, बारिश के लिए अनशन कर रहे उनके मानसिक विमर्श को समझा है, उनके लिए हेगेल और मार्क्स के कथन को समझना मुश्किल नहीं होना चाहिए। श्री नरेंद्र मोदी व्यक्ति एक हैं पर भूमिकाएँ दो हैं, एक भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में और दूसरी राजसत्ता के प्रतिनिधि के रूप में। भारतीय जनता पार्टी के नेता के रूप में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अनुषांगी संगठनों तथा भाजपा के अनुयायिओं की आकांक्षाओं के योग के अनुरूप आचरण करना होता है और, राजसत्ता के प्रतिनिधि के रूप में उन्हें राष्ट्र तथा आमजनता की आकांक्षाओं के अनुरूप आचरण करना होता है। कमोबेश यही स्थिति श्री अमित शाह की भी है। कांग्रेस के नेतृत्व में आजादी के बाद देश ने जिस राजनीतिक व्यवस्था का चुनाव किया था वह इंग्लैंड के सर्वाधिक विकसित बुर्जुआ जनवाद से भी एक क़दम आगे थी और शेखचिल्ली समाजवादी निम्नमध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों की सोच के अनुरूप संविधान भी 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की तर्ज़ पर ही विकसित किया गया था। पर अर्थव्यवस्था मुख्यतया पिछड़ी हुई सामंतवादी थी जिसके अंदर पूँजीवाद पदार्पण कर रहा था अर्थात बुर्जुआ उत्पादन संबंधों का आरंभ। आरंभिक दौर में सामन्तवाद और पूँजीवाद का अंतर्विरोध बहुत तीक्ष्ण नहीं था और कांग्रेस के नेतृत्व के लिए कांग्रेस के अंदर दोनों ही का प्रतिनिधित्व करने वाले तत्वों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल नहीं था। पर वैश्विक पूंजी के एकीकरण और उसके साथ भारतीय पूंजी के गठजोड़ के साथ भारत में भी सामन्तवाद और पूँजीवाद का अंतर्विरोध बहुत तीक्ष्ण हो चला था। भारत की बहुविधिक सामाजिक-आर्थिक संरचना की विस्तृत विवेचना यहाँ संभव नहीं है पर आज मुख्य अंतर्विरोधों का प्रतिनिधित्व कांग्रेस और भाजपा कर रहीं हैं। दोनों राजनैतिक पार्टियों के लिए आंतरिक संतुलन बना कर रख पाना असंभव होता जा रहा है और दोनों में ही तीव्र ध्रुवीकरण की प्रक्रिया चल रही है। जिस तरह किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण होता है, उसी प्रकार हर संगठन की अपनी विचारधारा होती है। कांग्रेस, अग्रगामी सोचवाली, सामूहिक नेतृत्व में विश्वास रखनेवाली और औद्योगिक पूँजीवाद के रास्ते आर्थिक विकास की नीति वाली बुर्जुआ जनवादी पार्टी है। भाजपा, प्रतिगामी सोचवाली, व्यक्तिगत तानाशाही नेतृत्व में विश्वास रखनेवाली और व्यवस्था-समर्थित एकाधिकारवादी-पूँजीवाद (Crony capitalism) के रास्ते आर्थिक विकास की नीतिवाली अधिनायकवादी पार्टी है। देश में असमाधेय अंतर्विरोधों के साथ जिस प्रकार की तीव्र ध्रुवीकरण की प्रक्रिया दोनों राजनीतिक पार्टियों में और देश में चल रही है उसमें प्राकृतिक नियमों के अनुसार अंतत: समाधान प्रतिगामी शक्तियों के निषेध के साथ होना अवश्यंभावी है। अपने सभी अनुषांगी संगठनों की प्रतिगामी सोच के बावजूद, मौजूदा जनवादी व्यवस्था में बहुमत का समर्थन हासिल करने के लिए प्रगतिशील नीतियों का दावा करना भाजपा के लिए व्यावहारिक मजबूरी है। और श्री नरेंद्र मोदी अच्छी तरह जानते हैं कि अनुषांगी संगठन तथा भाजपा के अनुयायी और समर्थक उन्हें अपना नेता इसलिए मानते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि नरेंद्र मोदी उनके एजेंडे को पूरा करने के लिए, अपनी ईमानदार छवि बनाये रख कर सरकार तथा सरमायेदारों का समर्थन उनके लिए जुटा सकते हैं। वे यह भी जानते हैं कि प्रधानमंत्री बने रहने के लिए जितना अनुषांगी संगठनों तथा भाजपा के अनुयायिओं का समर्थन आवश्यक है उससे कहीं अधिक उदारपंथी निम्नमध्यवर्गीयों का समर्थन आवश्यक है। कब हिंदूवादी धार्मिक नेता की भूमिका निभाना है और कब संविधान के साथ प्रतिबद्ध सर्वधर्म समभाव वाले नेता की भूमिका निभाना है, इस दोहरी भूमिका निभाने में श्री नरेंद्र मोदी पारंगत हैं। हमेशा की तरह मोदी चाहते थे कि यूपी का चुनाव उन्हीं के नाम पर लड़ा जाय ताकि चुनाव के बाद अपने विश्वस्त को मुख्यमंत्री बनाया जा सके पर योगी की ज़िद के आगे उन्हें हार माननी पड़ी और भावी मुख्यमंत्री के रूप में योगी के नाम की घोषणा करनी पड़ी। पश्चिमी बंगाल में पूरे मंत्रिमंडल को प्रचार में झोंक देने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा। किसानों की एकजुटता के आगे हार मानकर किसानों से माफ़ी माँगते हुए तीनों क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय लेना पड़ा। गिरती अर्थव्यवस्था तथा बढ़ती बेरोज़गारी और मुखर होते विपक्ष के चलते मोदी को अपनी और भाजपा की राजनीतिक ज़मीन खिसकती नजर आने लगी थी। पाँच राज्यों में आनेवाले चुनाव में भाजपा की स्थिति मज़बूत करने के लिए हजारों करोड़ रुपयों की योजनाओं की सौग़ात की घोषणा करने रणनीति के तहत यूपी में पहले ही घोषणायें की जा चुकी थीं। फ़िरोज़पुर की प्रस्तावित जन सभा भी इसी रणनीति का हिस्सा थी। अगर प्रधान मंत्री के रूप में उनका कार्यक्रम केवल शहीद स्थल पर श्रद्धांजली अर्पित करने का होता तो गृह मंत्रालय प्रधान मंत्री को सड़क मार्ग से हुसैनीवाला जाने की इजाज़त न देकर उन्हें बठिंडा हवाई अड्डे से ही वापस दिल्ली ले आता। पर यहाँ श्री नरेंद्र मोदी की भाजपा के शीर्ष नेता के रूप में अपनी दूसरी भूमिका भी निभानी थी जो पार्टी तथा नरेंद्र मोदी के स्वयं के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी। इसलिए सड़क मार्ग से जाने का निर्णय किया गया और तुरंत ही संबंधित कार्यालयों तथा स्थानीय प्रशासन को उचित सूचना दे कर प्रधानमंत्री के क़ाफ़िले को तुरंत रवाना कर दिया गया। 120 किमी की निर्बाध यात्रा कर लगभग दो घंटे में क़ाफ़िला शहीद स्मारक पहुंच गया। श्रद्धांजली अर्पित कर क़ाफ़िला कुछ ही देर में फ़िरोज़पुर की सीमा में दाखिल हो गया। इस समय तक ख़बर आ चुकी थी कि सभा स्थल पर कुछ सौ श्रोता ही मौजूद हैं और हजारों कुर्सियाँ ख़ाली पड़ी हैं। भाजपा के शीर्ष नेता के रूप में नरेंद्र मोदी का कुछ सौ श्रोताओं की भीड़ को संबोधित करना हास्यास्पद होता। इसलिए क़ाफ़िला फ़्लाई ओवर पर रोक दिया गया। सीधे सीधे जन सभा को रद्द करना, किसानों की एक और जीत तथा नरेंद्र मोदी की एक और हार के रूप में देखा जाता। इसलिए 20 मिनट रुक कर भाजपा समर्थकों और विरोधियों को नारे बाज़ी का मौक़ा दिया गया ताकि श्री नरेंद्र मोदी के पलायन को, प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए ख़तरे का रंग दिया जा सके और देश भर में उन्माद फैला कर आगामी चुनाव को जीता जा सके। पहले भी पुलवामा के नाम पर उन्माद भड़का कर हारता हुआ चुनाव जीत लिया गया था। भाजपा 2019 के इतिहास को फिर दोहरा कर चुनाव जीतना चाहती है। पर भाजपा भूल जाती है कि इतिहास अपने को दोहराता है, पर पहली बार वह त्रासदी होता है, दूसरी बार फ़रेब। भाजपा को जल्द ही समझ आ जायेगा कि किसान आंदोलन की एकजुटता ने तय कर दिया है कि मजदूर और किसान मिल कर लड़ेंगे और हर फ़रेब का पर्दाफ़ाश करेंगे। सुरेश श्रीवास्तव 9 जनवरी 2022 ———————————————————————- फुटनोट The Ministry of Home Affairs, in a statement, said the Prime Minister landed in the morning at Bathinda airport from where he was to go to the National Martyrs Memorial at Hussainiwala by helicopter.“Due to rain and poor visibility, the Prime Minister waited for about 20 minutes for the weather to clear out. When the weather did not improve, it was decided that he would visit the National Martyrs Memorial via road, which would take more than two hours,” it said. —————————————- ‘Large number of buses were stranded because of the high-handedness of the police & connivance with protestors’ .Jagat Prakash Nadda, President, BJP ————————————— The state BJP unit had claimed that five lakh people would turn up for the Prime Minister Narendra Modi’s Ferozepur rally, but it could hardly gather 5,000 people, proving to be a big embarrassment for the saffron party. —————————— Tribune, 5, January 2022 The BJP had claimed to have arranged 3,200 buses to ferry people from across the state to the rally venue in Ferozepur. The state leadership had allocated buses to each office-bearer of the party. Some constituencies were allocated about 60 buses. However, sensing lukewarm response ahead of the PM’s rally, the party started reducing the number of buses that were to be pressed into service — so much so that the parking arrangement at the rally venue was reduced to just 500 buses. Farmers’ organisations had been preparing for a stiff opposition for several days.They made announcements from village gurdwaras, asking people not to attend the rally. The cold wave and showers added to the BJP’s woes. As a result, the tepid response was all too visible on Wednesday morning. The party could not gather enough numbers to fill the buses to their optimum capacity. “Even party leaders could not get much help from labour chowks,” said a senior leader of the BJP’s kisan morcha. (Source : tribune.com) ——————————— लाइव अपडेट (Source : amar ujala.com) 02:15 PM, 05-JAN-2022 पीएम नरेंद्र मोदी की फिरोजपुर में होने वाली रैली बरसात के कारण रद्द कर दी गई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। वे बठिंडा के भसियाना एयरबेस से दिल्ली लौटेंगे। 02:07 PM, 05-JAN-2022 फरीदकोट के कोटकपूरा में पीएम मोदी की फिरोजपुर की रैली में जा रहे भाजपा वर्करों की बसों को किसानों ने रोक लिया है। दोनों पक्षों के बीच तनातनी हो गई। इसके बाद पुलिस ने बसों को दूसरे रास्ते से भेजा। 01:42 PM, 05-JAN-2022 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हुसैनीवाला बॉर्डर पहुंचकर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को श्रद्धासुमन अर्पित किए। कुछ ही देर में वह पंजाब के लिए 5 बड़े प्रोजेक्टों का उद्घाटन करेंगे। 01:33 PM, 05-JAN-2022 फिरोजपुर रैली से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि मैं आज पंजाब की अपनी बहनों और भाइयों के बीच रहने के लिए उत्सुक हूं। फिरोजपुर में एक कार्यक्रम में 42,750 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के शिलान्यास रखे जाएंगे, जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। 12:22 PM, 05-JAN-2022 फिरोजपुर में लगातार हो रही बरसात ने दिक्कत बढ़ा दी है। अभी तक रैली स्थल पर सभी कुर्सियां खाली पड़ी हैं। 12:17 PM, 05-JAN-2022 प्रधानमंत्री मोदी की रैली में सीएम चरणजीत चन्नी नहीं आएंगे। सीएम चन्नी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए जाना चाहते थे लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय में दो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्होंने अपना कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। चन्नी वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम से जुड़ सकते हैं। ———————————

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